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जॉक इच का क्या कारण है? जानिए इसके लक्षण और इलाज के बारे में

जॉक इच का क्या कारण है? जानिए इसके लक्षण और इलाज के बारे में

2022-08-01 00:00:00

आमतौर पर जॉक इच को मेडिकल भाषा में ‘टिनिया क्रूरिस’ के रूप में जाना जाता है। यह त्वचा में होने वाला एक फंगल संक्रमण है। ‘टिनिया’ को ‘दाद’ और ‘क्रूरिस’ को ‘ग्रोइंग’ के रूप में जाना जाता है। ज्यादातर यह संक्रमण कमर के आस-पास के हिस्सों, आतंरिक जांघों और नितंबों को प्रभावित करता है। इससे प्रभावित त्वचा चिड़चिड़ी या पपड़ीदार दिखती है, और उसमें छोटे-छोटे दानें या फफोले के रूप में विकसित होते हैं।

जॉक इच का क्या कारण है? क्या यह संक्रामक है या नहीं?

हां, जॉक इच एक तरह की संक्रामक बीमारी है। यह एक कवक के कारण होता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। इसके अलावा जॉक इच दूषित तौलिए या कपड़ें का इस्तेमाल करने से भी होता है। यही कवक एथलीट फुट का कारण भी बनता है। संक्रमण अक्सर पैरों से कमर तक फैलता है क्योंकि कवक हाथों या तौलिए के माध्यम से ज्यादातर इन्हीं अंगों पर प्रसारित होता है।

सबसे अधिक प्रभावित किसे करती है?

वैसे तो जॉक इच सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करती है। हालांकि, अधिकतर मामलों में जॉक इच किशोर और युवा वयस्क पुरुषों को प्रभावित करती है। यह बीमारी महिलाओं में कम देखने को मिलती है। आमतौर पर जॉक इच से पीड़ित होने की संभावना महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में तीन गुना अधिक होता है। इसके अतिरिक्त बच्चों में यह बीमारी दुर्लभ है।

जॉक इच के विकास के लिए जोखिम कारक

जॉक इच होने के कुछ जोखिम कारकों में शामिल हैं, जो निम्नलिखित हैं

  • लिंगजॉक इच से पीड़ित होने की संभावना महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है।
  • वजनमोटे लोगों की त्वचा की परतें अधिक होती हैं, जो जॉक इच जैसे फंगल संक्रमण के लिए वांछनीय स्थिति है।
  • अधिक पसीना आनायदि किसी व्यक्ति को बहुत अधिक पसीना आता है, तो त्वचा पर फफूंद के विकास की संभावना अधिक हो जाती है।
  • आयुकिशोरों को जॉक इच का अनुभव होने की संभावना अधिक होता है।
  • टाइट फिटिंग कपड़े और अंडरवियरमोटे और टाइट कपड़े त्वचा में नमी को अवशोषित करते हैं। जिससे फंगस के विकास के लिए एक उत्कृष्ट वातावरण बनता है।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणालीकमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में जॉक इच जैसे फंगल संक्रमण विकसित होने की संभावना अधिक होती है।
  • मधुमेहमधुमेह वाले लोगों को जॉक इच जैसे त्वचा संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।

जॉक इच के लक्षण

आमतौर पर जॉक इच के लक्षण त्वचा को फंगस के संपर्क में आने के 4 से 14 दिनों के बीच दिखाई देते हैं। शुरुआत में इसके लक्षण त्वचा पर एक फ्लैट, लाल और खुजलीदार दाने के रूप में दिखते हैं। यह दाने अक्सर पहले जांघों के अंदरूनी हिस्सें पर दिखाई देते हैं और फिर रिंग के आकार में बाहर की ओर फैल जाते हैं। जैसे-जैसे दाने फैलते हैं, इनकेआकार बढ़ते जाते हैं। साथ ही यह दाने अक्सर एक स्पष्ट लाल सीमा विकसित करता है जिसमें कई फफोले हो जाते हैं। जिसके कारण यह दाने फैलकर जांघों, कमर और नितंबों को संक्रमित करता है।

चकत्तों के अलावा जॉक खुजली के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं

  • त्वचा पर जलन और खुजली
  • स्केलिंग और फ्लेकिंग त्वचा।

जॉक इच के रोकथाम और उपचार

जॉक इच के जोखिम को कम करने के कई तरीके हैं, जैसे

  • अच्छी स्वच्छता का पालन करेंअपने हाथों को नियमित रूप से धोएं। ऐसा करने से अन्य लोगों को इस संक्रमण को फैलने का खतरा काफी कम होता है। इसके अलावा अपने कमर या जांघों के आतंरिक हिस्सों की त्वचा को साफ और शुष्क रखना भी बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसके लिए आतंरिक अंगों को स्नान के दौरान नियमित रूप से साबुन से धोएं और अच्छी तरह से सुखा लें। फिर कोई टैल्कम पाउडर को कमर के आसपास लगाएं , इससेअतिरिक्त नमी को रोकने में मदद मिलती है।
  • टाइट कपड़ों को पहनने से बचेंटाइट कपड़े त्वचा को रगड़ या खरोंच सकते हैं। जिससे खुजली होने का खतरा अधिक होता है। इसलिए अधिक टाइट कपडे न पहनें
  • गर्म या उमस भरे मौसम में ढीले कपड़े पहनेंढीले कपड़े पसीने और गर्म-आर्द्र वातावरण को रोकते हैं जिसमें आमतौर पर कवक बढ़ता है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आप उपयोग के बाद कसरत के कपड़े या एथलेटिक ब्रेसिज़ धो लें।
  • यदि किसी को एथलीट फुट है तो तुरंत इलाज कराएंखुजली का कारण बनने वाला कवक ,एथलीट फुट का कारण भी बनता है। इसलिए आप अपने पैरों या कमर पर एक ही तौलिया का उपयोग करें। साथ ही उचित स्वच्छता बनाए रखें और इसे किसी से साझा करें।

जॉक इच के लिए कुछ घरेलू उपाय

  • शहदशहद में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो जॉक इच से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए शहद को रोजाना प्रभावित अंग पर लगाएं। ध्यान दें इसे कम से कम एक घंटे के लिए लगे रहने दें। उसके बाद इसे धो लें। ऐसा कुछ हफ़्तों तक करने से बेहतर परिणाम देखने को मिलता हैं।
  • लहसुनलहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। लहसुन की एक कली को मसलकर उसमें लगभग तीन से चार बड़े चम्मच नारियल का तेल मिलाएं। अब इस मिश्रण को एक पतली परत के रूप में प्रभावित अंगों पर लगाएं और इसे धुंध से ढक दें। कुछ देर बाद इसे धो लें। ऐसा करीब दो सप्ताह तक करें। इससे जॉक इच के लक्षण दूर होते हैं।
  • साबुनयह जॉक इच के लिए सबसे सरल और प्रभावी घरेलू उपचारों में से एक है। इसके लिए एंटी-फंगल साबुन से संक्रमित क्षेत्र को साफ करने के लिए दिन में कम से कम तीन बार लगाएं। फिर उसे अच्छी तरह से पानी से धोकर सुखा लें।
  • एलोवेराएलोवेरा की जेल को प्रभावित अंगों पर लगाने से खुजली को शांत करने में मदद मिलती है। क्योंकि इसमें एंटीफंगल और शीतलन गुण होते हैं। ऐसा करीब दो सप्ताह तक करें। इससे जॉक इच के लक्षण दूर होते हैं।
  • नारियल का तेलनारियल के तेल में एंटी माइक्रोबियल और एंटीफंगल गुण होते हैं। इसलिए यह निश्चित रूप से जॉक इच से लड़ने में मदद करता है। इसके लिए नारियल के तेल को दिन में कई बार संक्रमित जगह पर लगाएं।
  • हल्दीहल्दी एक शक्तिशाली एंटीफंगल एजेंट की तरह काम करता है। इसलिए हल्दी के चूर्ण में थोड़ा सा पानी मिलाकर पेस्ट बना लें। अब इस मिश्रण को दिन में दो बार रुई के फाहे से ग्रोइंग एरिया पर लगाएं। ऐसा कम से कम दो सप्ताह तक करें। इससे सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है।

कब जाएं डॉक्टर के पास?

चूंकि जॉक इच एक गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन इसके शुरूआती लक्षण को नजरअंदाज कर देने से यह एक गंभीर समस्या का कारण बन सकता है। इसके शुरूआती लक्षण को साफ-सफाई का ध्यान रखकर या कुछ घरेलू उपाय को अपनाकर ठीक किया जा सकता है। लेकिन ऐसा करने से यदि समस्या बढे, तो तुरंत डॉक्टर का परामर्श लें। इसके अतिरिक्त यदि ओवर-द-काउंटर दवाएं काम नहीं करती हैं या दाने खराब हो जाते हैं, तो इस स्थिति में त्वचा विशेषज्ञ (Dermatologist) से सलाह जरुर लें।

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