Vedobi - सोरायसिस के लक्षण, प्रकार और उपचार
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सोरायसिस के लक्षण, प्रकार और उपचार

सोरायसिस के लक्षण, प्रकार और उपचार

2022-05-24 17:21:33

त्वचा शरीर के नाजुक हिस्सों में से एक है। जो दूषित वातावरण और गलत खानपान के चलते बहुत जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाती है। त्वचा संबंधी बहुत से रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं तो कुछ रोग लंबे समय तक पीछा नहीं छोड़ते। इन्हीं रोगों में से एक रोग है सोरायसिस। यह चर्म रोग त्वचा को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस रोग के दौरान स्किन लाल और पपड़ीदार हो जाती है। जिसमें कभी-कभी खुजली, जलन और सूजन भी देखने को मिलती है।

 
क्या है सोरायसिस?

सोरायसिस एक त्वचा संबंधी बीमारी है। जो त्वचा पर अधिक कोशिकाओं के बढ़ने के कारण होती है। यह कोशिकाएं नीचे से बढ़ती हुई पूरी त्वचा को घेर लेती हैं। त्वचा पर लगातार कोशिकाएं विकसित होने के कारण त्वचा की नमी कम होने लगती है और त्वचा रूखी हो जाती है। परिणामस्वरूप त्वचा में लालिमा, सूजन और जलन उत्पन्न होने लगती है। देखने में सोरायसिस लाल मोटे चकत्ते होते हैं। जिनमें कभी-कभी दरारें पड़कर खून भी आने लगता है। आम भाषा में सोरायसिस को छाल रोग भी कहा जाता है।

 
क्यों होता है सोरायसिस?

वैसे तो सोरायसिस हर उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। लेकिन 15 से 35 और उससे अधिक उम्र के लोगों में इसके अधिक मामले देखे जाते हैं। सोरायसिस क्यों होता है? या कहें कि इस चर्म रोग के क्या कारण हैं? तो इसके लिए निम्नलिखित कारणों को शामिल किया जा सकता है-

  • शुष्क त्वचा और शुष्क हवा का होना।
  • अधिक धूप या सनबर्न।
  • वायरस और बैक्टीरिया संक्रमण।
  • त्वचा का कटना एवं त्वचा पर चोट लगना।
  • किसी कीड़े का काट लेना।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली।
  • अधिक तनाव एवं चिंता।
  • किसी दवाई का साइड इफेक्ट।
  • एड्स जैसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होना आदि।
सोरायसिस के लक्षण-

सोरायसिस या त्‍वचा संबंधी कई समस्‍याओं के लक्षण भिन्न-भिन्न लोगों में भिन्न-भिन्न तरह से दिखाई पड़ते हैं। कई बार यह लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि किस व्यक्ति को किस तरह का सोरायसिस है? शुरुआत में सोरायसिस सिर और कोहनी जैसे त्वचा के छोटे स्थानों को ही अपना शिकार बनाता है।

सोरायसिस के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं;

  • त्वचा की सूजन और लाल चकत्ते।
  • लाल चकत्तों पर सफेद पपड़ी पड़ना।
  • त्वचा के लाल चकत्तों में दर्द होना।
  • चकत्तों पर या उसके आसपास खुजली और जलन होना।
  • त्वचा के रूखेपन के साथ उसमें दरारे पड़ना और उन दरारों से खून आना।
  • मोटे नाखून होना और उनमें दाग-धब्बों का पड़ना।
  • जोड़ों में सूजन और दर्द होना।
सोरायसिस के प्रकार

सोरायसिस रोग कई तरह का होता है। जोकि निम्नलिखित है-

एरिथ्रोडर्मिक-

इसमें सोरायसिस त्वचा के बड़े क्षेत्र को कवर करता है। जिसकी लालिमा काफी तीव्र होती है।

पस्टुलर-

इस स्थिति में त्वचा पर पीले मवाद से भरे छाले पड़ने लगते हैं।

प्लाक-

इसमें त्वचा लाल धब्बेदार और सख्त हो जाती है। जिसपर एक समय बाद सफेद पपड़ी पड़ने लगती है।

इनवर्स-

यह शरीर के सामान्य हिस्सों जैसे कोहनी और घुटनों की वजाय बगल और कमर जैसे हिस्सों में होता है। इसमें त्वचा लाल पड़ जाती है। जिसमें एक समय के बाद जलन भी होती है।

गुट्टेट-

इसमें त्वचा पर छोटे लाल-गुलाबी धब्बे दिखाई पड़ते हैं। यह खासकर बच्चों में देखने को मिलता है। जोकि स्ट्रेप संक्रमण (बैक्टीरियल संक्रमण, गले में खराश व खरोंच के कारण) से संबंध रखता है।

 
सोरायसिस (छाल रोग) के घरेलू उपचार-
हल्दी-
 
सामग्री:
  • हल्दी पाउडर दो चम्मच
  • पानी एक चौथाई कप
कैसे करें इस्तेमाल?
  • पानी में हल्दी को मिलाकर गर्म करते हुए गाढ़ा पेस्ट बना लें।
  • पेस्ट को ठंडा करके प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
  • पेस्ट के सूखने पर त्वचा को साफ करें।
कितनी बार प्रयोग करें?

हल्दी के इस पेस्ट का इस्तेमाल दिन में दो बार जरुर करें।

कैसे है लाभदायक?

हल्दी एक आयुर्वेदिक औषधि है। जो एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीऑक्सीडेंट और घाव को जल्दी भरने वाले गुणों से संपन्न होती है। इसलिए इसका इस्तेमाल सोरायसिस से प्रभावित वाले हिस्से पर खुजली, जलन, बैक्टीरिया आदि को कम करने के लिए किया जाता है।

 
अदरक-
 
सामग्री:
  • जैतून का तेल
  • अदरक का तेल
कैसे करें इस्तेमाल?
  • अदरक तेल की कुछ बूंदों को हाथ पर लेकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं।
  • त्वचा के संवेदनशील होने पर अदरक तेल के साथ जैतून तेल को मिलाकर इस्तेमाल करें।
कितनी बार प्रयोग करें?

इस प्रक्रिया का दिन में दो बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे है लाभदायक?

अदरक का तेल सोरायसिस रोग के इलाज में काफी मददगार साबित होता है। क्योंकि अदरक के तेल में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। जो सोरायसिस पर प्रभावी असर डालने का काम करते हैं। जिससे यह समस्या जल्दी ठीक होती है।

 
ग्रीन टी-
 
सामग्री:
  • ग्रीन टी एक बैग
  • गर्म पानी एक कप
कैसे करें इस्तेमाल?
  • पांच मिनट के लिए ग्रीन टी बैग को गर्म पानी में डालकर रखें।
  • ग्रीन टी बैग को पानी में से निकाल दें और प्राप्त चाय का सेवन करें।
कितनी बार प्रयोग करें?

छाल रोग के समय दिन में दो से तीन कप ग्रीन टी का सेवन करें।

कैसे है लाभदायक?

ग्रीन टी में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। जो छाल रोग के लक्षणों को दूर करने में सहायता करते हैं। दरअसल ग्रीन टी विषाक्त पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। जो खुजली और जलन का कारण होते हैं।

 
एलोवेरा-
 
सामग्री:
  • एलोवेरा का पत्ता मध्यम आकार का
कैसे करें इस्तेमाल?
  • एलोवेरा के पत्ते को साफ पानी से धोकर कुछ समय के लिए फ्रिज में रख दें।
  • कुछ देर बाद फ्रिज से एलोवेरा को निकालकर चाकू की मदद से उसकी ऊपरी परत हटाकर जेल को किसी बाउल में निकाल लें।
  • अब इस जेल को प्रभावित त्वचा पर 20-25 मिनट तक लगाकर रखें। उसके बाद त्वचा को ठंडे पानी से धो लें।
कितनी बार प्रयोग करें?

इस प्रक्रिया को दिन में दो बार किया जा सकता है।

कैसे है लाभदायक?

एलोवेरा एक प्राकृतिक औषधि है। जो त्वचा की जलन को शांत करती है। एलोवेरा में मौजूद एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण त्वचा को सूजन और जीवाणु संक्रमण से आजादी दिलाते हैं। इसके अतिरिक्त एलोवेरा में एक ब्रैडीकाइनस नामक एंजाइम भी पाया जाता है। जो स्किन की सूजन को ठीक करने का काम करता है। इसलिए एलोवेरा के इस्तेमाल को सोरायसिस का सफल माना है।

 
नीम-
 
सामग्री:
  • नीम तेल
कैसे करें इस्तेमाल?

नीम तेल की बूंदों को उंगलियों या रुई बॉल पर डालकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं

कितनी बार प्रयोग करें?

इस प्रक्रिया को दिन में दो बार दोहराया जा सकता है।

कैसे है लाभदायक?

नीम तेल प्रयोग सोरायसिस की दवा के रूप में किया जा सकता है। नीम तेल में एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। जो त्वचा के जीवाणु संक्रमण को जल्दी ठीक करने का काम करते हैं।

 
नारियल तेल-
 
सामग्री:
  • नारियल का तेल
कैसे करें इस्तेमाल?

नारियल तेल की कुछ बूंदें हाथ पर लें और प्रभावित त्वचा पर लगाएं।

कितनी बार प्रयोग करें?

यह प्रक्रिया को दिन में दो से तीन बार दोहराएं।

कैसे है लाभदायक?

आयुर्वेद में नारियल तेल को त्वचा के लिए बेहद अच्छा माना गया है। क्योंकि यह मॉइस्चराइजिंग गुण से संपन्न होता है। जो खुजली और पपड़ीदार त्वचा को शांत करते है। इसके अतिरिक्त नारियल तेल एंटीसेप्टिक ऑयल भी होता है। जो सोरायसिस संक्रमण को कम करता है।

 
टी ट्री तेल-
 
सामग्री:
  • एक चम्मच टी ट्री तेल
  • जैतून का तेल एक बड़ा चम्मच
कैसे करें इस्तेमाल?

टी ट्री तेल में जैतून तेल को मिलाकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं।

कितनी बार प्रयोग करें?

दिन में दो से तीन बार इस तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे है लाभदायक?

टी ट्री ऑयल त्वचा पर एंटीसोरायसिस के रूप में कार्य करता है। यह एंटीइंफ्लेमेटरी गुण से भी भरपूर होता है। जो सूजन और जलन को शांत करने का काम करते हैं। इसके अतिरिक्त यह तेल चर्म रोगों से भी छुटकारा दिलाता है।

 
जैतून का तेल-
 
सामग्री:
  • जैतून का तेल
कैसे करें इस्तेमाल?

जैतून तेल की कुछ बूंदों को हथेली पर लेकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं।

कितनी बार प्रयोग करें?

इस तेल को दिन में तीन से चार बार त्वचा पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे है लाभदायक?

जैतून का तेल सोरायसिस के लिए एक प्रभावी विकल्प है। यह तेल में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों मौजूद होते हैं। जो घाव को शीघ्र भरने और त्वचा संबंधी समस्याओं से दूर करने का काम करते हैं।

 
अलसी का तेल-
 
सामग्री:
  • अलसी का तेल
कैसे करें इस्तेमाल?

तेल की कुछ बूंदों को हथेली पर लेकर प्रभावित त्वचा पर लगाएं।

कितनी बार प्रयोग करें?

इस तेल को दिन में तीन से चार बार त्वचा पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे है लाभदायक?

अलसी के तेल का इस्तेमाल सोरायसिस की दवा के रूप में किया जा सकता है। अलसी का तेल ओमेगा-3 फैटी एसिड, अल्फा-लिनोलेनिक एसिड, बीटा-कैरोटीन और टोकोफेरोल जैसे एंटीऑक्सीडेंट से संपन्न होता है। यह त्वचा के पीएच को संतुलित और हाइड्रेट रखता है। इसके अतिरिक्त यह तेल सोरायसित के लक्षणों को शांत करने में भी मदद करता है।

 
सेब का सिरका-
 
सामग्री:
  • सेब का सिरका एक चौथाई कप
  • गुनगुना पानी तीन चौथाई कप
  • कॉटन बॉल
कैसे करें इस्तेमाल?
  • सिरके को गुनगुने पानी में अच्छी तरह मिलाएं।
  • प्रभावित हिस्से के अनुसार कॉटन बॉल का चुनाव करें।
  • अब कॉटन बॉल को सिरके वाले गुनगुने पानी में डुबोकर थोड़ा निचोड़ें और प्रभावित हिस्से पर लगाएं।
  • कॉटन बॉल को एक से दो मिनट प्रभावित हिस्से पर रखकर हटा दें।
 
कितनी बार प्रयोग करें?

बार-बार होने वाली खुजली और जलन से छुटकारा पाने के लिए इस प्रक्रिया को प्रतिदिन चार से पांच बार करें।

कैसे है लाभदायक?

सेब का सिरका एंटीएलर्जिक, एंटीफंगल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीवायरल और एंटीइंफ्लेमेटरी जैसे गुणों से भरपूर होता है। जो त्वचा से खुजली, जलन और चकत्तों को हटाने में मदद करते हैं। इसलिए सोरायसिस के इलाज लिए सेब के सिरके का इस्तेमाल किया जाता है।

वेदोबी सोरायसिस तेल-

वेदोबी सोरायसिस तेल त्वचा और छाल रोग आदि का इलाज करने के लिए तैयार किया गया एक आयुर्वेदिक ऑयल है। जिसमें जोजोबा तेल, करेले के तेल से प्रभावित जैतून का तेल, मैरीगोल्ड (गेंदे का फूल), केले के पत्ते, तेज पत्ता, तिल का तेल, नारियल का तेल, बावची (बाकुची) का तेल, काले जीरे का तेल, चालमोगरा (तुबरक या तुवरक) का तेल, करंज का तेल, तमानु का तेल और जुनिपर बेरी एसेंशियल ऑयल, लोबान का तेल, टी ट्री ऑयल, देवदार का तेल, लैवेंडर का तेल, अजवायन के फूल का तेल और नीम का तेल आदि प्राकृतिक अवयवों का संयोजन मौजूद है। यह तेल जीवाणुरोधी और कवक विरोधी है। जो खोपड़ी और त्वचा में सोरायसिस संक्रमण को ठीक करता है।

 
कैसे करें इस्तेमाल?
  • वेदोबी सोरायसिस तेल का इस्तेमाल स्नान करने के बाद, लोशन की तरह पूरे शरीर, चेहरे और खोपड़ी पर करें।
  • इसे तेल को नियमित मालिश के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • वेदोबी सोरायसिस तेल को सोते समय भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
कितनी बार प्रयोग करें?

शीघ्र और बेहतर परिणामों की प्राप्ति के एस तेल को दिन में दो से तीन बार प्रभावित त्वचा पर लगाएं।

 
कैसे है लाभदायक?

वेदोबी सोरायसिस तेल में उपयोग होने वाले विभिन्न तत्व त्वचा पर सुखदायक प्रभाव डालते हैं और त्वचा को सूखेपन और खुजली से राहत प्रदान करते हैं। यह तेल त्वचा को मुलायम बनाता है। क्योंकि इसके सलूशन में प्रयुक्त सामग्री सूखी और दरार वाली त्वचा को ठीक करने का काम करती है। यह तेल सोरायसिस के लक्षणों को कम करते हुए त्वचा की चमक को बढ़ावा देता है। जिससे त्वचा की हीलिंग होती है। वेदोबी सोरायसिस तेल 100% प्राकृतिक अवयवों के साथ तैयार किया गया है। इसलिए साइड-इफेक्ट्स की चिंता किए बिना इसका उपयोग किया जा सकता है।

 
सोरायसिस के समय बरतें यह सावधानियां-
  • तेज धूप से बचें। इसलिए सोरायसिस के समय बाहर जाने पर छतरी का इस्तेमाल करें।
  • त्वचा पर कोई घाव या संक्रमण होने पर उसे अनदेखा न करें अथार्त उसपर पूरा ध्यान दें।
  • प्रतिदिन नहाएं और त्वचा को अच्छे से साफ रखें।
  • खुजली होने पर त्वचा को खरोंचे से बचें।
  • सोरायसिस के समय घरेलू उपाय या डॉक्टर की सलाह जरुर लें।
सोरायसिस में आहार-

सोरायसिस के समय से भोजन में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, विटामिन-सी, विटामिन-ई और विटामिन-डी से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। फल और हरी-सब्जियों का अधिक सेवन करें। शरीर को हमेशा हाइड्रेट रखें। इसके लिए जूस और नारियल पानी का प्राप्त सेवन करें।

Disclaimer

The informative content furnished in the blog section is not intended and should never be considered a substitution for medical advice, diagnosis, or treatment of any health concern. This blog does not guarantee that the remedies listed will treat the medical condition or act as an alternative to professional health care advice. We do not recommend using the remedies listed in these blogs as second opinions or specific treatments. If a person has any concerns related to their health, they should consult with their health care provider or seek other professional medical treatment immediately. Do not disregard professional medical advice or delay in seeking it based on the content of this blog.


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