Vedobi - आयुर्वेद में अभ्रक का महत्व और फायदे
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"न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।" (Bhagavad Gita, Chapter 4, Verse 38)

“There is nothing as purifying in this world as knowledge.”

आयुर्वेद में अभ्रक का महत्व और फायदे

आयुर्वेद में अभ्रक का महत्व और फायदे

2021-12-21 17:14:28

अभ्रक का परिचय
 

अभ्रक भस्म एक खनिज पदार्थ है। यह काले, भूरे और सफेद रंग का होता है। आयुर्वेद में अभ्रक भस्म का काफी महत्व है। इसके अलावा कई उद्योगों में भी अभ्रक का प्रयोग किया जाता है। इसलिए सदैव अभ्रक के शुद्ध रूप को ही औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। औषधि के लिए मुख्य रूप से काले रंग के अभ्रक को इस्तेमाल में लाया जाता है। क्योंकि इसे उत्तम दर्जे का अभ्रक माना जाता है। जिसे “वज्र अभ्रक” भी कहते हैं। इस अभ्रक में आयरन के गुण होते हैं। जिससे विभिन्न रोगों का उपचार होता है।

 
आयुर्वेद में अभ्रक भस्म का महत्व

आयुर्वेद में अभ्रक भस्म को प्राचीन दवा माना गया है। अभ्रक को अकेले या किसी दूसरे घटक के साथ प्रयोग में लाने से कई बीमारियों का नाश होता है। विशेषकर कफ संबंधी बीमारी, पेट संबंधी बीमारी, नसों की समस्या और पुरुषों के विकार आदि में अभ्रक बेहद लाभदायक होता है। इसके अतिरिक्त यह मधुमेह (डायबिटीज), कुष्ठ (लेप्रोसी), क्षय रोग (टीबी), लीवर की समस्या, हृदय रोग, वीर्यपात, नपुंसकता आदि में भी फायदा करता है। अभ्रक भस्म का सेवन करने से शरीर में आयरन की भी आपूर्ति होती है।

 
अभ्रक भस्म के फायदे–
 
  • अभ्रक के सेवन से शरीर मजबूत और शक्तिशाली बनता है।
  • यह एनीमिया (खून की कमी) को दूर करता है और रक्त धातु (Blood metal) को पोषित करता है।
  • अभ्रक लीवर संबंधी रोगों को दूर करता है।
  • इसके प्रयोग से कफ रोग ठीक होते हैं।
  • अभ्रक लेप्रोसी जैसे त्वचा संबंधी रोगों में आराम करता है।
  • डायबिटीज और रक्तचाप को बढ़ने से रोकने में अभ्रक लाभदायक है।
  • यह मूत्रघात और पथरी की समस्याओं के लिए एक लाभप्रद औषधि है।
  • इससे टीबी (क्षय रोग) और बवासीर जैसी बीमारियों का निवारण करता है।
  • अभ्रक शुक्राणुओं (वीर्य) की संख्या बढ़ाने में कारगर है।
  • इसके प्रयोग से शरीर में लोहे (आयरन) की कमी पूरी होती है।
  • अभ्रक से पुरानी खांसी और दमा जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।
  • यह पीलिया और नकसीर आदि समस्याओं में आराम करता है।
  • इससे पेट संबंधी दिक्कतों में आराम मिलता है।
  • यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायता करता है।
  • अभ्रक अनिद्रा (नींद न आना) की समस्या को ठीक करता है।
  • इससे चिड़चिड़ापन, अवसाद और तनाव कम होता है।
  • अभ्रक माइग्रेन और चक्कर आने की समस्या को दूर करता है।
  • यह श्वास संबंधी रोगों में आराम पहुंचाता है।
  • इससे एंजाइना पेक्टोरिस (एक प्रकार का सीने का दर्द) और घबराहट में आराम मिलता है।
  • अभ्रक कार्डियोमेगाली (हृदय की असामान्य वृद्धि) को ठीक करता है।
अभ्रक भस्म के नुकसान–
 
  • जरूरत से ज्यादा अभ्रक का सेवन करना दिल की धड़कनों को बढ़ा सकता है।
  • अभ्रक का अधिक उपयोग करना शरीर के लिए घातक साबित हो सकता है। इसलिए इसके उपयोग से पहले किसी आयुर्वेदिक या सामान्य चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।
कहां पाया जाता है अभ्रक?
 

भारत के कई प्रदेशों जैसे राजस्थान के चित्तौड़ और भीलवाड़ा, झारखंड के गिरीडीह, बंगाल के रानीगंज, बिहार के हजारी बाग़ आदि में पाया जाता है। वज्राभ्रक (काला अभ्रक) भूटान, हिमालय, हिमाचल आदि में पाया जाता है। आयुर्वेद में हिमालय के अभ्रक को उत्तम, पूर्वीय देशों से मिलने वाले अभ्रक को मध्यम और दक्षिण पर्वतों से प्राप्त अभ्रक को निषिद्ध माना जाता है।

 

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